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आज विश्व रेडियो दिवस है आज दशकों बाद गांव  से जुड़ी यादें अक्सर दिमाग में कौंध जाती है और फिर बचपन याद आ जाता है। लगता है एक खूबसूरत दुनिया खत्म हो गई।  लगता है कि काश वह समय दोबारा लौट आए। उस समय की यादें अक्सर उन फिल्मों के गाने को सुनने से ताजी होती है जो हमारे बचपन के दिनों में बजते थे। उन दिनों रेडियो कुछ चुनिंदा लोगों के पास ही होते थे और रेडियो का होना प्रतिष्ठा का सबब होता था।  उन दिनों पूरे गांव में केवल  जवेरचन्द जी जैन के  पास फिलिप्स का एक रेडियो होता था। गांव में  मात्र 5 -6  रेडियो ओर हुए । जब हम बहुत छोटे थे और गांव के स्कूल में पहली या दूसरी कक्षा में पढ़ते थे।  हम दादाजी पुनमाजी बा के पास रेडियो सुनने जाया करते थे ,वे सब रेडियो को घेर कर चौकी या खटिया पर बैठते थे। कुछ तो रेडियो से कान सटा कर बैठते थे। वहां हम जैसे बच्चे भी जमा होते थे। हमारे लिए यह कौतुहल का विषय था कि आखिर उस छोटे डिब्बे से  आदमी, ढोलक, हारमोनियम आदि की आवाज कैसे आती है। जो हमसे बड़े थे वे बताया करते थे कि इसके अंदर आदमी रहते हैं और वे ही बोलते और गाते हैं...

इमेजिका

इमेजिका भारत का सबसे बड़ा थीम पार्क है । यह मुंबई पुणे एक्सप्रेस हाईवे पर स्थित है । पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है । खासकर त्यौहारों के सीजन में यहां दर्शक जुड़ते हैं स...

मेरा जन्मदिवस

बसन्तो का जाना मुसलसल जारी है। उबड़ खाबड़ रास्तो के बीच ढ़लानों से जीवन के पहिये लड़खड़ाते जरूर है पर कोई है जो  सहारा दे देता है। जिंदगी की डगर में ताकतवर हौसलो  से उसूलों पर काय...

दादर-बीकानेर ट्रेन नियमित होने का दावा झूठा

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मुंबई - इन दिनों शोशल मीडिया पर एक न्यूज के माध्यम से दादर - बीकानेर ट्रेन के नियमित होने का दावा किया जा रहा है ।जो बिल्कुल झूठा है पढ़िये ये रिपोर्ट

जब कलेक्टर की चली कलम,लिखा ऐसा पत्र की पूरा देश कर रहा है प्रशंशा

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डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी

झाड़ू लगाने वाली मां के रिटायरमेंट फंक्शन में पहुंचे कलेक्टर, डॉक्टर, और इंजीनियर बेटों को देख लोग हुए दंग

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झारखण्ड- झारखंड के रामगढ़ के रजरप्पा टाउनशिप में पिछले 30 साल से झाडू़ लगाने वालीं सुमित्रा देवी का सोमवार को आखिरी दिन रहा। मौका विदाई समारोह का आया तो अचानक से एक नीली बत्ती लगी कार और पीछे दो अन्य बड़ी-बड़ी कारें समारोह हॉल के पास पहुंची। नीली बत्ती लगी कार से बिहार में सिवान के डीएम महेंद्र कुमार, पीछे की कार से रेलवे के चीफ इंजीनियर विरेंद्र कुमार और तीसरी कार से चिकित्सक धीरेंद्र कुमार एक साथ उतरे और समारोह स्थल पर पहुंचे। अपने तीनों अफसर बेटों को एक साथ देख सफाईकर्मी मां सुमित्रा देवी की आंखों से खुशी के आंसू निर्झर बहने लगे। बेटों को अपने आला अफसर से मिलवाते हुए सुमित्रा बोलीं साहब-मैं तो पूरी जिंदगी झाड़ू लगाती रही मगर मैने अपने तीनों बेटों को साहब बना दिया। यह मिलिए मेरे छोटे बेटे महेंद्र से, जो सिवान में कलेक्टर हो गया। और यह मेरा बेटा विरेंद्र इंजीनियर है तो धीरेंद्र डॉक्टर साहब। जब सुमित्रा ने बारी-बारी से अपने तीनों अफसर बेटों का सबसे परिचय कराया तो उनके बॉस सहित समारोह में मौजूद लोग दंग रह गए। आंखें फटी की फटी रह गई कि एक सफाईकर्मी महिला के तीन अफसर बेटे। डीएम-डॉक्टर और...